पटना- 30अप्रैल 2020
बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री श्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा के हस्ताक्षर युक्त शिक्षा विभाग बिहार सरकार द्वारा हड़ताली शिक्षकों को हड़ताल तोड़कर वापस आने से संबंधित आज जारी किए गए अपील पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक श्री बृजनंदन शर्मा ने कहा कि इस तरह का अपील कर सरकार शिक्षकों को लगातार प्रताड़ित और अपमानित करने का काम कर रही है अगर वास्तव में शिक्षकों को हड़ताल से वापस सरकार को बुलाना था तो इस अपील पत्र के माध्यम से ही हड़ताली शिक्षकों के विरुद्ध हड़ताल अवधि में किए गए दंडात्मक कार्रवाई को वापस लेने हड़ताल की अवधि का वेतन का भुगतान करने सहित तमाम गैर वित्तीय मामलों को मान लेने की घोषणा करते हुए वित्तीय मामलों पर वार्ता की तिथि की घोषणा कर सम्मानजनक तरीके से शिक्षकों को हड़ताल से वापस आने की अपील सरकार को करनी चाहिए थी अगर ऐसा हुआ होता तो हम सभी शिक्षक निश्चित तौर पर हड़ताल से वापस जाने पर विचार करते लेकिन बिहार सरकार ने अपनी दमनकारी नीति के तहत शिक्षकों की समस्याओं का बिना जिक्र किए हड़ताल से वापस जाने का अपील किया है जिसे बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति किसी कीमत पर नहीं स्वीकारेगी और हम सभी शिक्षक जब तक सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए वार्ता की तिथि का निर्धारण नहीं कर देती गैर वित्तीय मामलों को तत्काल प्रभाव से मानने की घोषणा नहीं कर देती दंडात्मक कार्रवाई को वापस नहीं ले लेती एवं हड़ताल अवधि का सामंजन कर हड़ताली शिक्षकों को फरवरी-मार्च और अप्रैल का वेतन का भुगतान करने की घोषणा नहीं कर देती तब तक बिहार के एक-एक शिक्षक हड़ताल पर डटे रहेंगे
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के विरुद्ध सरकार की लड़ाई में हम पूरी तरह मानवता के आधार पर हड़ताल में रहते हुए भी जगह जगह पर रिलीफ बांटकर मास्क और सैनिटाइजर बटवा कर तथा कोरोना से बचने के उपाय आमजन को बता कर मानवता के आधार पर विभिन्न तरीकों से इस कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में मानवता की सेवा में लगे हुए हैं और आगे भी लगे रहेंगे क्योंकि हम सभी शिक्षक बिहार के उन्ही आबादी के संतान हैं जिन की नकली सेवा की दुहाई बिहार सरकार दे रही है
अगर मानवता की चिंता माननीय शिक्षा मंत्री एवं शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों तथा बिहार के माननीय मुख्यमंत्री को वास्तव में हुई होती तो आज हम अपने हड़ताल अवधि में 64 साथियों के मृत्यु का दंश नहीं झेल रहे होते हम शिक्षक हैं अपने मांगों के समर्थन में हड़ताल करना हमारा संवैधानिक अधिकार है उसके तहत हमने 17 फरवरी से हड़ताल शुरू किया था तब बिहार में ना लॉक डाउन था ना बिहार या देश कोरौना जैसे संक्रमण की विभीषिका को झेल रहा था.
मूलतः हमने 18 जुलाई 2019 से अपने आंदोलन का आगाज किया था उसके बाद भी सरकार को हम लोगों ने काफी समय दिया वार्ता के लिए तब कोई कोरोना की विभीषिका सरकार नहीं झेल रही थी ना बिहार को इसका सामना करना पड़ा था सरकार चाहती तो कब का वार्ता करके समस्या का समाधान निकाल सकती थी और हड़ताल भी तोड़वा सकती थी पर सरकार ने ऐसा किया नहीं और लगातार हड़ताली शिक्षकों के विरुद्ध दमनकारी दंडात्मक कार्रवाई की घोषणा करती रही क्या हम शिक्षक मानव नहीं थे हमारे लिए सरकार के मन में मानवता आखिर क्यों नहीं ?
सरकार आज चाह जाए तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता कर शिक्षकों की मांगों पर विचार कर सकती है उसे पूरा कर सकती है और हड़ताल तोड़वा सकती है लेकिन सरकार की मंशा सही नहीं है ऐसी स्थिति में मानवता के आधार पर हमारे सभी शिक्षक अपने अपने क्षेत्र में कोरोना पीड़ितों की सहायता में निस्वार्थ भाव से लगे हुए हैं और लगे रहेंगे पर जब तक वार्ता की तिथि निर्धारित नहीं होती और मेरे द्वारा सुझाए गए उपायों के आधार पर सरकार शिक्षकों के हित में मानवता के आधार पर उनकी मांगें मान लेने की घोषणा नहीं करती तब तक बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आवाहन पर चल रहा अनिश्चितकालीन हड़ताल जिसका आज 74 वां दिन है आगे भी जारी रहेगा ।
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